गुजरात पुलिस मुस्लिम-विरोधी थी 

सच्चाई: इसके विपरीत, मीडिया ने ‘मुस्लिम-विरोधी’ होने का आरोप लगाने के डर से पुलिस मुस्लिम कट्टरपंथियों पर कृती करने में देरी कर रहीं थी। पहले तीन दिनों में पुलिस गोलीबारी में मारे गए लोगों में अधिकांश हिंदू थे (९८ में से ६०)। ६ अप्रैल २००२ तक पुलिस गोलीबारी में कुल १२६ लोग मारे गए जिसमें से ७७ हिंदू थे। ७४ दिनों के दंगों के दौरान हिंदू शायद पहले तीन दिनों में आक्रामक थे, जबकि ७४ दिनों में से ७३ दिन शायद मुस्लिम आक्रामक रहे। 

 

   वास्तव में नरोड़ा पाटिया, गुलबर्ग सोसायटी, सदरपुरा, पांडरवाड़ा जैसे ४-५ ठिकानों पर मुस्लिमों पर बड़े पैमाने पर हमले किए गए, जिसमें कई मुस्लिम मारे गए, और हिंसक भीड़े बेकाबू थी, उनकी तुलना में पुलिस बल अत्यंत कम होने के कारण पुलिस गोलीबारी में इन हमलों में ज़्यादा लोग मारे नहीं जा सके। १ मार्च २००२ को सेना उपस्थित होते हुए, और ‘देखते ही गोली मारने’ के आदेश शुरू होते हुए मुस्लिमों ने प्रतिकारी आक्रमण करने के कारण पुलिस गोलीबारी में मुस्लिम भी मारे गए, क्योंकि उस समय स्थिति नियंत्रण के बाहर नहीं थी। २८ अप्रैल २००२ तक पुलिस गोलीबारी में ७७ से ८० हिंदू, तथा ९३ मुस्लिम मारे गए। पुलिस गोलीबारी में मारे गए मुस्लिमों की संख्या अधिक होने के बारे में स्पष्टीकरण ऊपर आ चुका है। 

   

    ‘इंडिया टुडे’ ने अपने २० मई २००२ के अंक में स्पष्ट रूप से इस बात को माना है कि पुलिस ने मुस्लिम कट्टरपंथियों के विरुद्ध कार्यवाही करने में देरी की, क्योंकि उन्हें उनपर ‘मुस्लिम-विरोधी’ मुहर लगने का डर सता रहा था। 

(संदर्भ:https://web.archive.org/web/20131013212042/http://archives.digitaltoday.in/indiatoday/20020520/states2.html)

 

   ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ की २८ अप्रैल २००२ की ख़बर के अनुसार पुलिस ने तब तक प्रतिबंधात्मक उपाय के रूप में लगभग १८ हज़ार हिंदुओं को गिरफ़्तार किया, जबकि दंगों के आरोप में १० हज़ार हिंदुओं को गिरफ़्तार किया। इन सारे दंगों की घटनाओं में कुल ४२७४ मामले यानी एफ.आय.आर. दर्ज किए गए। २०१२ साल तक १९२०० हिंदू और ७७९९ मुस्लिमों को गिरफ़्तार किया गया, यह कुल संख्या २६९९९ अर्थात् क़रीब २७००० है। अक्तूबर २००५ तक २५,२०४ लोगों को गिरफ़्तार किया गया था, गिरफ़्तारी की अंतिम संख्या में इससे थोड़ा इज़ाफ़ा हुआ है। पुलिस ने मामलों को दर्ज करने और उन्हें अंतिम रूप देने में पूरी सक्षमता से कार्य किया, परिणामस्वरूप गोधरा और बाद के दंगों में विभिन्न मुक़दमों में मार्च २०२० तक कम-से-कम ४८८ लोगों को दोषी क़रार दिया गया, जिसमें ३७४ हिंदू और ११४ मुस्लिम थे, जो की एक रिकॉर्ड हैं।

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