अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा कि ‘नरेंद्र मोदी राजधर्म का पालन नहीं कर रहे हैं’

सच्चाई: यह घटना वाजपेयी ४ अप्रैल २००२ की है जब तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ४ अप्रैल २००२ को गुजरात दौरे पर आए थे। प्रधानमंत्री वाजपेयी और नरेंद्र मोदी के संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में वाजपेयी से एक पत्रकार प्रिया सहगल ने सवाल किया कि “गुजरात के मुख्यमंत्री को आप कौन सा संदेश देना चाहेंगे?” इस पर उन्होंने कहा, “शासनकर्ताओं को राजधर्म का पालन करना चाहिए। न जाति, न पंथ, न जन्म के आधार पर जनता के बीच किसी प्रकार का भेदभाव करना चाहिए। मैं हमेशा से यही करता आया हूँ और करने का प्रयत्न करता हूँ। और मुझे विश्वास है कि नरेंद्र भाई भी ऐसा ही कर रहे हैं”।

 

   इस बयान के आखिरी वाक्य ‘मुझे विश्वास है कि नरेंद्र भाई राजधर्म का ही पालन कर रहे है’ को मीडिया ने पूरी तरह अनदेखा कर दिया और उसे प्रकाशित ही नहीं किया, और श्री वाजपेयी का यह वाक्य कि ‘श्री नरेंद्र मोदी को राजधर्म का पालन करना चाहिए’ प्रकाशित किया (जैसे कि उन्होंने कहा कि श्री मोदी तो इसका अनुसरण ही नहीं कर रहे हैं!)। इस पूरी घटना का वीडियो आज भी यूट्यूब पर उपलब्ध है, और कोई भी इसे देख सकता है।

 http://www.youtube.com/watch?v=x5W3RCpOGbQ 

   

   ‘हिंदू’ ने अगले दिन अर्थात् ५ अप्रैल २००२ को ‘श्री वाजपेयी की मोदी को सलाह’ शीर्षक के अंतर्गत ख़बर देते हुए कहा कि: “प्रधानमंत्री (वाजपेयी) ने आगे कहा ‘मुझे विश्वास है कि वे अपने राजधर्म का पालन सही तरीक़े से कर रहे हैं’”

(संदर्भ:https://web.archive.org/web/20140407200003/http://www.hindu.com/thehindu/2002/04/05/stories/2002040509161100.htm)

 

   कुछ ही दिनों के बाद २००२ में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने स्वयं ६ मई २००२ को कहा कि मीडिया ने उनके द्वारा व्यक्त की गई राय कि गुजरात के मुख्यमंत्री को राजधर्म का पालन करना चाहिए को प्रमुखता से प्रकाशित किया, लेकिन ‘मैं वही कर रहा हूँ’ इस श्री नरेंद्र मोदी के जवाब की ओर विशेष ध्यान नहीं दिया। श्री वाजपेयी जी ने पूछा ‘क्या राजधर्म के पालन के लिए श्री मोदी का इस्तीफ़ा ही एकमात्र उपाय है?’ (संदर्भ: http://www.rediff.com/news/2002/may/06train3.htm)

      

    दिनांक १२ मई २००२ के ‘द वीक’ के साथ नरेंद्र मोदी के साक्षात्कार के अंश इस प्रकार हैं:

“प्रश्न: प्रधानमंत्री ने आपसे खुले तौर पर राजधर्म का पालन करने के लिए कहा था। क्या यह नहीं दर्शाता कि वे मुख्यमंत्री के रूप में आपके प्रदर्शन से असंतुष्ट हैं ?

उत्तर: प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए बयान का केवल एक ही हिस्सा बताया गया है। प्रधानमंत्री ने यह भी उल्लेख किया था कि “मुझे विश्वास है कि मोदी जी राजधर्म का पालन कर रहे हैं”। केवल अर्धसत्य बताने वाली इस रिपोर्टिंग से मीडिया की मंशा के बारे में बहुत कुछ निष्कर्ष निकाले जा सकते है”।

 

   सोशल मीडिया और यूट्यूब के कारण टी.वी. चैनलों का एकाधिकार समाप्त हो जाने पर सत्य बाहर आ रहा है। १० वर्षों तक सत्य छुपाकर, ‘मुझे विश्वास हैं कि नरेंद्र मोदी राजधर्म का पालन कर रहे हैं’, श्री वाजपेयी के इस स्पष्ट वाक्य को दबाकर रखने के बाद मीडिया के कुछ लोगों ने सच्चाई बाहर आने पर कुछ न कुछ बहाना बनाना शुरू कर दिया। उन्होंने यह बताने का प्रयास किया कि यद्यपि श्री वाजपेयी ने कहा कि ‘मोदी राजधर्म का पालन कर रहे हैं’, परंतु वास्तव में वाजपेयी कहना चाहते थे कि ‘मोदी उसका पालन नहीं कर रहे हैं’! वो कोई भी विश्लेषण करने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन पूरा सच बताने के बाद, कि वाजपेयी ने कहा ‘मुझे विश्वास हैं कि मोदी राजधर्म का पालन कर रहें हैं’। 

मनगढ़ंत कथा

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