गुजरात सरकार दंगों में शामिल थी 

सच्चाई: पूरे राज्य में मशरूम की तरह बढ़ने वाले मदरसों की ओर नरेंद्र मोदी की गुजरात की भाजपा सरकार ने, पिछली केशुभाई पटेल सरकार की तरह, आँख मूँद ली थी। ‘इंडिया टुडे’ के १८ मार्च २००२ के अंक की रिपोर्ट से पता चलता है कि शायद भाजपा को अपनी नई ‘धर्मनिरपेक्ष’ छवि धूमिल होने का खतरा लगने कारण मदरसों पर नियंत्रण रखने के लिए कोई भी क़दम नहीं उठाया गया। इस अंक में कहा गया है: 

 

   “आम धारणा है कि धर्मांध विचार फैलाने वाले इस्लामी स्कूलों पर नियंत्रण न होने के कारण राज्य में मुस्लिमों के विरुद्ध नफ़रत की एक अव्यक्त भावना पनपने लगी थी, जिसका दंगों के रूप में विस्फोट हो गया। राज्य में मतांध मदरसों पर नियंत्रण रखने में अधिकारी क्यों असफल रहे, इस मुद्दे की राज्य में विशेष चर्चा है। क्या वह इसलिए था कि भाजपा को यह डर सता रहा था कि कट्टरपंथी मुसलमानों पर कड़ी कार्यवाही करने पर उसकी नई अर्जित ‘धर्मनिरपेक्ष’ छवि को धक्का लगेगा? या यह केवल सामान्य प्रशासनिक अक्षमता थी?”

 

   तो भाजपा को अपनी ‘पंथनिरपेक्ष’ छवि को धक्का लगने का डर था। शायद यदि ऐसा नहीं होता तो भी सरकार दंगों पर नियंत्रण करते समय निष्पक्ष और कार्यक्षम होती। लेकिन उस समय भाजपा की पंथनिरपेक्ष छवि और एन.डी.ए. में शामिल सहयोगी दल दाव पर लगे होने के कारण, सरकार दंगों को रोकने, या न होने देने के लिए निश्चय ही समर्पित व कटिबद्ध थी। सरकार ने किए कृत्यों को हमने तीसरे अध्याय में विस्तार से देखा है।

 

   आरोप है कि कांग्रेस पार्टी ने अपने ‘मोदी हटाओ’ आंदोलन में नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने के लिए २१ अप्रैल २००२ के बाद दंगों को भड़काया; लगता हैं इस आरोप में आधार है। राज्यसभा में गुजरात दंगों पर ६ मई २००२ को बहस हुई थी। इस संबंध में आरोप है कि कांग्रेस चाहती थी कि दंगे चालू रहें, ताकि एन.डी.ए. के सहयोगी दल मोदी सरकर के ख़िलाफ़ हो जाएँ। शायद कांग्रेस को उम्मीद थी कि इन दंगों के कारण सहयोगी दल गठबंधन छोड़ेंगे और एन.डी.ए. सरकार गिर जाएगी। इसका विस्तृत विवरण हम आगे देखेंगे।

 

   गुजरात में पहले तीन दिनों के दंगे गोधरा हत्याकांड का परिणाम थे। लेकिन गोधरा हत्याकांड ही कुछ स्थानीय मुस्लिम कांग्रेस नेताओं का षड्यंत्र था। इसका विस्तृत विवरण भी हम आगे एक अध्याय में देखेंगे। गोधरा हत्याकांड घटित होने के बाद मीडिया और राजनैतिक नेताओं के उत्तेजनापूर्ण बयानों के कारण बाद के दंगे भड़के थे, उदा. तत्कालीन गुजरात कांग्रेस अध्यक श्री अमर सिंह चौधरी। 

मनगढ़ंत कथा

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