विहिंप जैसे संघ परिवार के संगठनों ने दंगों का आयोजन किया

 सच्चाई: वर्ष २००२ के दंगों के समय गुजरात के १८,६०० गाँवों में से १०,००० गाँवों में विश्व हिंदू परिषद की शाखाएँ थी। अगर वे चाहते तो इन १०,००० गाँवों में से कई गाँवों में आसानी से प्रतिक्रियात्मक दंगे भड़का सकते थे। इसके उलट, वास्तव में १८,६०० गाँवों में से मात्र अधिकतम ५० गाँवों में दंगे भड़के थे। विहिंप के तत्कालीन अंतरराष्ट्रीय महासचिव (जो बाद में कार्याध्यक्ष बने) डॉ. प्रवीण तोगड़िया, पटेल समुदाय से हैं, और श्री केशुभाई पटेल की तरह वे भी गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र से हैं। लेकिन सौराष्ट्र में दंगे हुए ही नहीं!

 

   इसके विपरीत २८ फरवरी को अहमदाबाद में बड़े पैमाने पर भड़के दंगों को विहिंप या संघ परिवार का कोई भी संगठन आयोजित नहीं कर सकता था। गोधरा हत्याकांड की यह एक उत्स्फूर्त सामाजिक प्रतिक्रिया थी। वरिष्ठ राजनैतिक विश्लेषक श्री अरविंद बोस्मिया ने भी यही कहा है।

 

   कुछ लोगों ने सवाल किया हैं कि, “एक ओर आप कहते हैं कि कुछ भी घटित नहीं हुआ, मात्र ४०-५० गाँवों में दंगे हुए। दूसरी ओर आप कहते हैं कि दंगे इतने बड़े पैमाने पर थे कि किसी एक अकेले संगठन द्वारा इन दंगों को किया जाना संभव नहीं है”।

 

   ये दोनों बातें एकसाथ सच हैं। अहमदाबाद में २८ फरवरी को एक समय ऐसा आया जब कम-से-कम ५०,००० (पचास हज़ार) लोगों ने एक साथ एक ही समय में विभिन्न मुस्लिम बस्तियों पर धावा बोल दिया। ‘द हिंदू’ ने अगले दिन अपनी ख़बर में कहा कि स्थिति नियंत्रण से बाहर लग रही थी। अहमदाबाद पुलिस को औसतन २०० कॉल प्रतिदिन आते थे, लेकिन उस दिन यह संख्या ३,५०० से अधिक थी। ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ ने इन दंगों का वर्णन करते हुए लिखा कि, ‘उस समय पुलिस की उपस्थिति हिंसाचार के महासागर में एक बूँद की तरह थी’। अहमदाबाद में महज २४ घंटों में इतनी बड़ी भीड़ जुटाना संघ परिवार या अन्य किसी संगठन की पहुँच से बाहर था।

 

   लेकिन गुजरात में २८ फरवरी को या उसके बाद, विहिंप अगर चाहती तो उन दस हज़ार गाँवों में दंगे आसानी से भड़का सकती थी जहाँ उसकी शाखाएँ कार्यरत थीं।

 

   गोधरा हत्याकांड २७ फरवरी को घटित हुआ, उसी दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने एक बयान जारी करके कहा, “संघ इस हत्याकांड का निषेध करता है और संयम बरतने की अपील करता है”। ‘हिंदू’ अख़बार ने भी २८ फरवरी के अंक में यह ख़बर दी थी, और उसमें कहा कि “(२७ फरवरी को) रा.स्व. संघ ने लोगों से संयम बनाए रखने की अपील की है”। इस अपील की, और संघ के तत्कालीन सरकार्यवाह मोहन भागवत ने ‘ऑर्गनाइज़र’ के १० मार्च २००२ के अंक में प्रकाशित २७ फरवरी को की अपील की स्कैंड-प्रतिलिपियों को हमने दूसरे अध्याय में देखा है। ‘टेलिग्राफ़’ ने अपने २८ फरवरी २००२ के अंक में कहा: रा.स्व.संघ संयम बरतने की अपील करके प्रधानमंत्री के साथ मज़बूती से खड़ा रहा। सहसरकार्यवाह श्री मदनदास देवी ने कहा, ‘यह हिंदू समाज की सहिष्णुता की परीक्षा का समय है। क़ानून अपने हाथों में लेने के बजाय गंभीर परिस्थिति को संभालने के लिए जनता को राज्य सरकार का सहयोग करना चाहिए’।

(संदर्भ:https://web.archive.org/web/20130204004811/http://www.telegraphindia.com:80/1020228/front_pa.htm#head1)

 

   रेडिफ़ डॉट कॉम ने वृत्त संस्थाओं के हवाले से २ मार्च २००२ को दी ख़बर थी: 

 

   “संघ और विहिंप की ओर से गुजरात में शांति बनाए रखने की अपील 

   गुजरात में हिंसा भड़कने के बाद संघ और विहिंप ने शनिवार (२ मार्च २००२) को अपने कार्यकर्ताओं से अपील की कि देश में शांति भंग करने वाले किसी भी कृत्य से बचें और आशा व्यक्त की कि ‘गुजरात में समझदारी आएगी’। 

   संघ के सरकार्यवाह श्री मोहन भागवत ने दिल्ली में जारी किए गए एक बयान में कहा कि: ‘हिंदुत्व पर विश्वास रखने वाले सभी संघ स्वंयसेवकों, शुभचिंतकों, और मित्रों से मैं अपील करता हूँ कि देश की विक्षुब्ध (disturbed) स्थिति को देखते हुए शांति भंग करने वाले किसी भी कृत्य जैसे नारेबाज़ी और पत्थरबाज़ी से दूर रहें, क्योंकि इससे केवल राष्ट्रविरोधी आतंकी तत्त्वों को बल मिलेगा’। 

   अन्य मज़हब के लोगों से भी उन्होंने अपील करते हुए कहा, ‘आतंकियों के उकसावे के झाँसे में न आएँ और अपने हिंदू भाइयों के साथ इस देश की संतान के रूप में व्यवहार करें।’

   इस बीच, विहिंप ने भी गुजरात की हिंसा को रोकने की अपील करते हुए कहा कि ‘किसी के खिलाफ़ किसी भी प्रकार का हिंसाचार चिंताजनक है’। नई दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुए विहिंप के प्रवक्ता श्री वीरेश्वर द्विवेदी ने कहा, ‘गोधरा की घटना और उसके बाद की हिंसा दुर्भाग्यपूर्ण है और किसी के खिलाफ़ किसी भी प्रकार का हिंसाचार चिंताजनक है’।

   उन्होंने गुजरात में हो रही हत्याओं को रोकने की अपील करते हुए कहा कि ‘गुजरात में समझदारी आनी चाहिए’। दंगों में मारे गए लोगों के प्रति शोक व्यक्त करते हुए श्री द्विवेदी ने राज्य में हिंसाचार के शिकार लोगों के प्रति अपनी संवेदनाएँ व्यक्त कीं।

   लेकिन विपक्षी दलों ने स्थिति की जाँच के लिए गुजरात में अब प्रतिनिधि मंडल भेजने का निर्णय लिया है, लेकिन विपक्षी पार्टियों को गोधरा हत्याकांड के बाद ऐसा करना उचित नहीं लगा, इस बारे में उन्होंने खेद व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि ‘यह वोटबैंक की राजनीति को ध्यान में रखकर किया जा रहा है’।– समाचार एजेंसी”

(संदर्भ: https://www.rediff.com/news/2002/mar/02train10.htm)

 

   श्री मोहन भागवत द्वारा यह बयान २७ फरवरी को ही दिया गया था। किसी बड़े दंगे की शुरूआत होने से पहले ही ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ ने २८ फरवरी को दी खबर हमने पहले देखी हैं जिसमें विहिंप के वरिष्ठ उपाध्यक्ष आचार्य गिरिराज किशोर ने कहा कि ‘हिंदुओं को शांति और संयम बनाए रखना चाहिए’।

 

   ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ ने २७ फरवरी २००२ को ऑनलाइन दी ख़बर में कहा कि गुजरात विहिंप ने दूसरे दिन (२८ फरवरी) बंद के दिन सभी हिंदुओं से अपने घरों के अंदर रहने की अपील की थी। स्वाभाविक है कि यदि हिंदू अपने घरों में ही रहते तो उन्हें हिंसक प्रतिक्रिया करना संभव नहीं होता।

मनगढ़ंत कथा

Tags: No tags

Leave A Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *