नरेंद्र मोदी ने दंगाइयों को तीन दिनों की खुली छूट दी

सच्चाई: ‘हिंदू’ के अगले दिन की रिपोर्ट के अनुसार नरेंद्र मोदी ने २८ फरवरी को ही सेना को ‘तत्काल’ अहमदाबाद में बुलाया था। ‘इंडिया टुडे’ के १८ मार्च २००२ के अंक में ‘क्रोनोलॉजी ऑफ़ ए क्राइसिस’ लेख में सम्पूर्ण घटनाक्रम दिया गया है जिसे हमने पहले देखा है, जिससे यह किसी भी संदेह से परे साबित होता है।

 

   दंगों के दूसरे ही दिन, अर्थात् १ मार्च २००२ को सेना ने अहमदाबाद, वडोदरा, राजकोट और गोधरा में ध्वज-संचलन किया। इसके बावजूद सी.एन.एन.-आइ.बी.एन. इस हिंदी चैनल ने २६ अक्तूबर २००७ को टी.वी. के परदे पर लिखा कि ‘गुजरात में हत्याकांड के लिए तीन दिनों की छूट दी गई थी’। 

 

   दंगों के दूसरे दिन अर्थात् १ मार्च को ही अल्पसंख्यकों ने जवाबी हमलों की शुरूआत कर दी थी। अगले दो दिनों का तो सवाल ही नहीं उठता क्योंकि सेना तैनात थी और २८ फरवरी को जब सेना तैनात नहीं थी उस दिन भी पुलिस ने की गई गोलीबारी में ११ हिंदू मारे गए थे और १६ घायल हुए थे, पुलिस ने उस दिन १४९६ राउंड फ़ायरिंग की, जिनमें से कम-से-कम ६०० राउंड फ़ायरिंग अकेले अहमदाबाद में ही की गई। इसी दिन सम्पूर्ण राज्य (अहमदाबाद सहित) में ४२९७ आँसू गैस के गोले छोड़े गए तथा ७०० लोगों को गिरफ़्तार किया गया। 

 

   तीन दिन तो छोड़िए, नरेंद्र मोदी ने दंगाइयों को तीन मिनट का भी समय नहीं दिया। ‘रेडिफ़ डॉट कॉम’ ने २७ फरवरी को ही कहा: “(गोधरा) घटना की ख़बर संपूर्ण राज्य में फैलने के कारण परिस्थिति तनावपूर्ण बनी, जिस कारण राज्य सरकार ने प्रतिबंधक उपायों के लिए तत्काल क़दम उठाए। गोधरा और गुजरात के अन्य भागों में सुरक्षा व्यवस्था और अधिक कड़ी कर दी गई है।” (संदर्भ: https://www.rediff.com/news/2002/feb/27train.htm)

 

   पी.टी.आई. के हवाले से ‘रेडिफ़ डॉट कॉम’ ने २८ फरवरी की शाम को ख़बर दी, सेना को तैयार रहने के आदेश दिए गए हैं, और शीघ्र कृति दल तथा केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल को अहमदाबाद और अन्य स्थानों पर तैनात कर दिया गया है।”

(संदर्भ: https://www.rediff.com/news/2002/feb/28train15.htm)

 

   गोधरा हत्याकांड के बाद २७ फरवरी को ‘रेडिफ़ डॉट कॉम’ ने ख़बर दी: “और अधिक हिंसाचार भड़कने से रोकने के लिए गोधरा में शीघ्र कृति दल की दो कंपनियाँ और राज्य रिज़र्व पुलिस बल की एक कंपनी तैनात की गई है। (पी.टीआई. समाचार)”

(संदर्भ: http://www.rediff.com/news/2002/feb/27train4.htm)

 

   ‘रेडिफ़ डॉट कॉम’ ने उसी दिन दी ख़बर के अनुसार वडोदरा में २८ फरवरी को प्रातः ८ बजे से ही कर्फ़्यू लगा दिया गया। ख़बर में कहा गया:

   “एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि छुरा घोंपने की कुछ घटनाओं के कारण प्रातः ८ बजे से शहर में (वडोदरा) अनिश्चितकालीन कर्फ़्यू लगाया गया है। पुलिस आयुक्त श्री दीनदयाल तुतेजा ने कहा कि तटबंदी क्षेत्र के ६ पुलिस थानों की सीमा में कर्फ़्यू लगा दिया गया है और शीघ्र कृति दल तथा केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के जवानों को संवेदनशील भागों में तैनात कर दिया गया है। पंचमहल ज़िले के लुनावड़ा नगर में बुधवार (२७ फरवरी) की रात को आगजनी और लूटपाट की घटनाओं के कारण देर रात २ बजे से ही कर्फ़्यू लगा दिया गया है।

   इस बीच, ट्रेन पर हमले के बाद बुधवार (२७ फरवरी) को गोधरा शहर में लागू किए गए अनिश्चितकालीन कर्फ़्यू में किसी प्रकार की शिथिलता न देते हुए इसे गुरुवार को भी (२८ फरवरी) बरकरार रखा गया। पुलिस के मुताबिक़ कर्फ़्यू के दौरान अबतक किसी प्रकार की अप्रिय घटना नहीं हुई। राज्य के अन्य भागों में भी परिस्थितियाँ रातभर शांत और नियंत्रण में थी, ऐसा पुलिस ने कहा। (पी.टी.आई. समाचार)”  

(संदर्भ: https://www.rediff.com/news/2002/feb/28train1.htm) 

   

   दंगों के दूसरे दिन ‘देखते ही गोली मारने’ के आदेश राज्य के ३४ स्थानों तक बढ़ा दिए गए थे। इस संबंध में ‘रेडिफ़ डॉट कॉम’ ने १ मार्च २००२ को दी ख़बर में कहा:

 

   “शहर में जारी रहती हुई हिंसा की घटनाओं से चिंतित राज्य सरकार ने शुक्रवार को (१ मार्च २००२) आगजनी और हिंसा करने वालों को ‘देखते ही गोली मारने’ के आदेश पुलिस को दिए। अधिकृत सूत्रों ने कहा कि यह घोषणा मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद में की। आगजनी करने वालों से सख्ती ने निपटने और, यदि आवश्यक हो तो हिंसाचार करने वालों को देखते ही गोली मारने के आदेश श्री मोदी ने पुलिस को दिए, ऐसा सूत्रों ने जोड़ा। 

   इस दौरान सेना ने अहमदाबाद के दरियापुर, शाहपुर, शाहीबाग़, और नरोड़ा इन हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में लोगों के बीच विश्वास क़ायम करने के लिए ध्वज-संचलन किया। जारी हिंसा में शहर में ही अब तक १११ लोग मारे गए हैं।      

   पुलिस ने कहा कि दरियापुर, शाहपुर, शाहीबाग़, और नरोड़ा क्षेत्रों में सेना के लोग बाहर आ चुके हैं।” (संदर्भ: https://www.rediff.com/news/2002/mar/01train4.htm)

 

   तथ्यों पर गलत आरोप करने वाले लोगों पर एकतरफ़ा समाचार प्रकाशित करके मुस्लिमों को भड़काने के कारण आई.पी.सी. की धारा १५३ अ (दो समुदायों में नफ़रत की भावना भड़काना) के तहत, और भाजपा तथा संघ परिवार, और नरेंद्र मोदी की बदनामी करके उनकी छवि को धूमिल करने के कारण आई.पी.सी. की धारा ५०० (बदनामी) के तहत मुक़दमा दायर किया जा सकता है।

मनगढ़ंत कथा

Tags: No tags

Leave A Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *